ऐ माँ मैं हूँ तेरी बिटिया,नन्ही, प्यारी सी बिटिया,लगा गले मुझे आज अपने,आँचल में तेरे देखूं सपने,,कभी पराया न मुझे करना,आँखों से ओझल मत करना,,ऐ माँ मैं हूँ तेरी बिटिया,नन्ही, प्यारी सी बिटिया,मुझ को ऊँचा उड़ने देना,मुझ को आगे बढ़ने देना,ना तोडूंगी मैं मर्यादा को,ना मैली होने दूँ गरिमा को,ऐ माँ मैं हूँ तेरी बिटिया,नन्ही, प्यारी सी बिटिया,ना बांधो शब्दो में मुझ को,ना ढालो परिभाषा में मुझ को,मुझे रवानी बन बहने दो,दिल का हर लफ्ज़ कहने दो,ऐ माँ मैं हूँ तेरी बिटिया,नन्ही, प्यारी सी बिटिया,हर जंजीर को मैं तोडूंगी,हर तूफ़ां को मैं झेलूंगी,साथ तुम रहना माँ मेरे,सपने होंगे सभी पुरे तेरे,ऐ माँ मैं हूँ तेरी बिटिया,नन्ही, प्यारी सी बिटिया,मनिंदर सिंह “मनी”
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Atyant khoobsoorat rachnaa Maninder …………Bahut bhavuk……..
Beautiful poem Mani ji…..
bhut khoobsurat git mani ji………….
Awesome …………. ,
Maniji……..बहुत भावुक कर दिया आपने,….भाजी…तुस्सी ग्रेट हो…….कोई भी शब्द नहीं मेरे पास इस रचना की प्रशंसा या आपके भावों को सही रूप में व्यक्त करने को …… भगवान् आपकी कलम में प्रखरता दे….माँ सरस्वती हर भाव को व्यक्त करने की कला…..जय हो……..
Lovely poem ……बिटिया के मनोभावो का बहुत खूबसूरत शब्दो से सजाया है आपने। …बहुत उम्दा , इस विषय पेर मेरी रचना ” मुझको मेरा हक़ दो ” भी नजर करे !!