सपने अनेक थे तो मिले स्वप्न-फल अनेक,
राजा अनेक, वैसे ही उनके महल अनेक।
यूँ तो समय-समुद्र में पल यानी एक बूंद,
दिन, माह, साल रचते रहे मिलके पल अनेक।
जो लोग थे जटिल, वो गए हैं जटिल के पास
मिल ही गए सरल को हमेशा सरल अनेक।
झगडे हैं नायिका को रिझाने की होड के,
नायक के आसपास ही रहते हैं खल अनेक।
बिखरे तो मिल न पाएगी सत्ता की सुन्दरी,
संयुक्त रहके करते रहे राज दल अनेक।
लगता था-इससे आगे कोई रास्ता नहीं,
कोशिश के बाद निकले अनायास हल अनेक।
लाखों में कोई एक ही चमका है सूर्य-सा
कहने को कहने वाले मिलेंगे ग़ज़ल अनेक।
आज स्वप्न में देखा उप्टन लगते हुए अपने आप को और मेहँदी मेरे हांथो में लगी है इसका मतलब जानना है
स्वप्न में उपतन और मेहंदी लगते देखा
aaj main sapne me patang uda raha tha. iska matlab kya h?