“मेरे ताक -ऐ- हुजरे के दीपक जला दे कोई,दिया,बाती, तेल सब तैयार है बस माचिस दिखा दे कोईमैं भूलता सा जा रहा हंसी क्या ख़ुशी क्या,एक धुंदली सी तस्वीर है कुछ याद दिला दे कोईढूंढता मैं फिर रहा अल्फ़ाज इबादत के लिए,सजदा कैसे होता है ये आज सीखा दे कोईझंजटो ने घेर रखा है हर तरफ से मुझे,ग़ुरबत में हूँ बस रास्ता बता दे कोईएक अरसे से सोये हैं जज्बात मोहब्बत के,हलके से आके ख्वाब में इनको जगा दे कोईमैं तो फकीर हूँ मुझे दौलत मयस्सर कहाँ,दरयादिली दिखाऊंगा बस प्यार जता दे कोई””मेरे ताक -ऐ- हुजरे के दीपक जला दे कोई,दिया,बाती, तेल सब तैयार है बस माचिस दिखा दे कोई(विवेक बिजनोरी)
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
behad khoobsoorat …………..
bhut khoob bijnori ji………………………..
Very Nice VIVEK…..जिज्ञासा के भाव लिए खूबसूरत रचनात्मकता !
bahut khoobsoorat………..
bhut badiya………………………………………..
plz read both poem
सफलता का पैमाना नहीं होता
जिंदगी