भोर होने को वक़्त था अभी….हलचल बाहर की ने मुझे समय से पहले जगा दिया…ठिठुरती सर्दी में बाहर पड़ोस में…कुछ लोग खड़े बातें कर रहे थे…साफ़-साफ़ सुन नहीं पा रहा था…जिज्ञासावश बाहर निकला…जानने को कि सब ठीक है…अभी मैंने पडोसी के घर पाँव रखा ही था…”शर्माजी मुबारकबाद दो हमें…घर में लक्ष्मिजी आयी हैं”और इतना कहते पडोसी ने हमें गले लगा…मुंह में मिठाई डाल दी….पता चला रात १ बजे बेटी का जन्म हुआ है…और सब ठीक है…ब्रह्ममुहूर्त में मुंह मीठा नहीं हुआ बल्कि…देवी के आगमन की ख़ुशी में…मन…आत्मा तृप्त हो गयी…काश! ऐसी भोर का आगमन हर दिल में हो….\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
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Bahut sundar rachna Sharmaji…..
बहुत बहुत आभार आपका….Anuji…….
Lovely write Babbu ji …………..
बहुत बहुत आभार आपका….Madhukarji…….
Lovely BABBU JI…………….क्या खूबसूरत अन्दाज़ ऐ ब्यान है आपका खुशियो को साझा करने का !! यही तो आपका अंदाज है जो आपकी विशेष पहचान है !!
बहुत बहुत आभार आपका…ख़ुशी सिर्फ सांझा करने के लिए नहीं लिखी…इस रचना के माध्यम से मेरी कोशिश थी की जैसे पडोसी ने बेटी का स्वागत किया है ख़ुशी से …वैसे ही हर इंसान करे तो कितना ही सुन्दर हो…मैंने बेटी के स्वागत करने की भावना को “भोर का आगमन” लिखा है…जो अंतिम पंक्ति है….वो इसी लिए है….एक सन्देश….
Sharma ji. उच्च विचार……,अनुपम अभिव्यक्ति ……., बहुत खूब ……..,
तहदिल आभार आपका मीनाजी….मेरी विचारों को समझने के लिए…..
bhut hi sundar bhav sir aaj is bhav ki bhut jarurat hai
Madhuji……बहुत बहुत आभार आपका…….