कट रही या जिंदगी को जी रहा हूँ |बेखबर हो मैं लबो को सी रहा हूँ ||हर तरफ है दौर नफरत से भरा जो |है नहीं मरजी मेरी पर जी रहा हूँ ||खून पानी सा बना है हर किसी का |जाम हर दिन इक लहू का पी रहा हूँजात महजब खेलते है खेल आदम |जीतने को भाग सा मैं भी रहा हूँ ||है नहीं कोई ‘मनी’ अपना रहा सा |बेमानी सी ज़िन्दगी मैं जी रहा हूँ ||मनिंदर सिंह “मनी”
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wartman pr tanj …………….khoobsurat…….
thank you so much madhu ji…….
Very nice…….
thank you anu ji…..
nice बहुत सुंदर सर जी
thank you krishen ji………..
Khubsurat gazal ……………,
thank you meena ji…..
Very nice write ………….
thank you shishir sir…..
Lovely …………………….!!
thank you sir…..