मेरी ज़िम्मेदारीयाँ कुछ कम होगीतब भूलने की आदत सी बनेगीलोगो के नाम, चेहरे शायद भूलने लगूँगीन सुबह जल्दी उठने की ज़रुरत होगीपर शायद आँखों से नींद ही गायब होगीमैं अपनी ज़िम्मेदारीयों से थोड़ी मुक्त जो हो जाऊंगी।बालों पे सफेदी की परत होगीचेहरे पे झूरियां होगीआखों पे सुन्दर सी ऐनक होंगीबागवानी जीवन का हिस्सा बनेगीपौधों से सुबह शाम बातें होंगीमैं अपनी ज़िम्मेदारीयों से थोड़ी मुक्त जो हो जाऊंगी।बरामदे में बैठ आकाश में उड़ते पक्षी को निहारा करुँगीछुटियों में बच्चों के घर आने का इन्तजार करुँगीकभी कभी पुराने ख़यालो में मैं खो जाऊंगीअभी काम से फुर्सत नहीं मिलतीतब समय ही समय मेरे पास होगामैं अपनी ज़िम्मेदारीयों से थोड़ी मुक्त जो हो जाऊंगी।कही भी आने जाने की आज़ादी होगीन किसी से डरने की ज़रुरत होगीशाम बागों में बीतने लगेगीलौट के घर आने की जल्दी न होगीमैं अपनी ज़िम्मेदारीयों से थोड़ी मुक्त जो हो जाऊंगी।थोड़ी सी और सबल हो जाऊंगीऔरों की पीड़ा भी ज़्यादा महसूस करुँगीजब अपना बिताया वक्त तब याद करुँगीमैं शायद थोड़ी सी भावुक भी हो जाऊंगीमैं अपनी ज़िम्मेदारीयों से थोड़ी मुक्त जो हो जाऊंगी। अनु महेश्वरीचेन्नई
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
bhut bhut sundar kavita mam……. ytharth bhav o se saji
Thank You, Madhuji…..
Very Nice ANU Ji…..वृद्धावस्था में जीवन यापन को सुखद बनाने का बड़ा ही सुन्दर, मनमोहक एवं सजीव चित्रण का उम्दा खाका पेश किया है आपने,,,,!!
Thank You, Nivatiya ji…
Bahut khoob …………,
Thank You, Meena ji..
Anu bhavuk rachnaa ……….
Thank You, Shishir ji…
Behad khoobsoorat…..sajeev chitran karti…..
Thank You, Sharma ji….
atyant sunder rachna…..naman apko……….
Thank You, Mani ji….
Bhaavon ki mala ke anmol moti………………………..
Thank You, Vijay ji……
सचमुच बहुत ही सुंदर रचना।