उस रोड लैंप की रोशनी मेंधुंधलके सा तुम्हारी परछाई का दिखनाऔर मेरे हृदय का स्पन्दनआन्तरिक अह्लादित ह्रदय खुश्बू जैसे चंदनमन्त्र मुग्ध करता तुम्हारा सम्मोहनऔर फिर मेरा तुम्हारी ओर बढनातुम्हारा मेरी ओर कदमो को बढानाकई बार भूल जाती अभिवादनहृदय के स्पन्दन से होकर बेकलपाव जब चलते हमारे साथमिल जाता ह्रदय को मुस्कानमुस्करा उठता सारा आसमानखिलखिलाता है उस पल को मेरा जहानउस पलछिन को झोली में भर लेती हूँ मैंक्योंकि वही पल थोड़ा सा जी लेती हूँ मैंरूकते हो जब लड़खड़ा सी जाती हूं मैंजाने के लिए कहोगे जान पाती हूँ मैंबहुत कुछ जो चंद लम्हे पहले मिलाछुट जाता हैन जाने क्या क्या अन्तर्मन में टूट जाता हैरह जाता है ताकता वह रोडलैंप…………
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atyant sundar savita ji…….
Nice expression of love
Atyant sundar …………
Saviknaji………बेहद ही खूबसूरत भावों का चित्रण…….
Beautiful expression………………………..नववर्ष सभी के लिए मंगलमय हो.
गुरु गोविन्द सिंह के ३५०वें प्रकाश पर्व पर “गुरु गोविन्द सिंह चालीसा” प्रकाशित की है कृपया पढ़ें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
very nice …………ह्रदय के भावो को खोलकर रख दिया आपने
atu sunder……………….
Bahut bahut dhanyabad aap sab ka……………. मुझे समझ नहीं कविता की…….पर आप सब की प्रतिक्रिया से समझ आता हैकुछ बढियालिख गयी हूँ।