खुदा के आगे भला किसकी चली हैजो वो करता है जग मेवो हर चीज भली हैगेहू के साथ अगर खरपतवार न बनातातो बेचारा जानवर क्या गेहू खाताखुदा के आगे भला. . . . . . . .उसने बनाया जंगल कोसाथ ही क्रुर पशु भी बनायेकरता न गर खुदा ऐसा तोलालची जंगल को काट खा जायेखुदा के आगे भला. . . . . . . .खुद के साथ उसने रावण-कंस को बनायाऔर उनमे पापो को समायामारा उस पाप को उसनेजग से मिटायाशायद इसी वजह से ईश्वर कहलायाखुदा के आगे भला. . . . . . . .मतलब साफ़ हैजब पाप आता हैतो ईश्वर भी आता हैआ कर धरती पर वोप्यार को बचाता हैन घबराओ जग के पापो सेशायद कोई अवतार आता है!खुदा के आगे भला. . . . . . . .
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Very nice thinking………,
thanku मीना जी आपका दिल से आभार
bhut sundar rachana…… khoobsurat……..
thanku मधु जी आपका आशीर्वाद मुझे आगे बढने मे प्रेरित करेगा
khoobsoorat………….
cm सर आपको दिल से धन्यवाद
अपना प्रेम यू ही बनाकर रखियेगा
Nice………..प्रकृति संतुलन कि एक कला के तहत टिकी है, संतुलन के बिगड़ने पर प्रलय होता है, ठीक इसी प्रकार जीवों का जीवन है अगर संतुलन बिगड़ा तो उनके जीवन में भी प्रलय आ जाता है. बहुत सुंदर भाव………………….
vijay सर सबसे पहले आपको धन्यवाद
आपकी पर्तिक्रिया मेरे लिये महत्वपूर्ण है
मैने आपकी श्री गोविंद सिंह चालीसा पढी है आपने उसमे सारे रिकार्ड तोड़ दिये
ऐसी अनुपम रचना के लिये आपको सत सत नमन
Very nice…….