जीवन जीना भी एक कला होती हैकोई रोकर जीता है तो कोई हंसकरपर जीता वो हीजिसमे जितने की ललक होती हैजिन्दगी तो सुअर और कुत्ते भी जीते हैपर असली जिन्दगी शेर की होती हैवह पुरी जिन्दगी हंसते हुए बिताता हैवही दूसरी ओर कुत्ते और अन्य जानवरउस शेर को देखकर भौकते हैऔर जिन्दगी भर भौकते ही रहते है!
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Krishanji……,आपके भाव अच्छे हैं पर मुझे कहने का तरीका ठीक नहीं लगा…..हर किसी की इंसान हो या जानवर… ज़िन्दगी का अपना महत्व है….जो कुते में specialities हैं वो शेर में नहीं….जैसे सूंघने की शक्ति…स्वामी भक्ति….और सबसे बड़ी विशेषता है कुते में कृतघ्न नहीं वो….ऐसे ही और जानवरों में है… शेर की तरह निर्भय हो जीना अच्छा है…..और निर्भय केवल शेर ही नहीं होता….हाथी…भी होता……
cm सर जी पर्तिक्रिया के लिये धन्यवाद
मैने यह कविता मे कुत्ते के रूप मानव की तुलना की है
क्योकी मानव दो तरीके का होता है
पहला होता है शेर के जैसा जो शिकार करता है,खुद की कमाई खाता है उसे किसी से कोई जलन नही होती
और दूसरा होता है कुत्ते जैसा मतलब की दुसरो की
उन्नति देखकर वो मन ही मन जलते है और कुत्ते की तरह दुर से भोंकते है,मतलब की बुराईया करते है
आपने मुझे सुझाव दिया उसके लिये मै आपका दिल से आभारी हू!
अपना प्रेम यू ही बना कर रखियेगा
आपका प्रिय
krishan saini
Nice……………आपके भाव सुंदर हैं लेकिन जिन जानवरों कि उपमा आपने दी है उनके और भी गन होते हैं जैसे कि कुत्ता वफादार होता है शेर नहीं. अतः आप इसे प्रत्यक्ष भाव में लिखें तो ज्यादा उपयुक्त लगेगा. आपके कहने का अर्थ सुंदर है इसमें कोई शक नहीं.
dear विजय सर आपको दिल से धन्यवाद जो आपने मुझे मेरी रचना मे हुई कमी को मुझे बताया जो मुझे आगे और उत्कृष्ट लिखने को प्रखरता देगी!
आपका यह प्यार यू ही बनाये रखियेगा
आपके अमूल्य सुझाव मेरे लिये महत्वपूर्ण है
इसी तरह सुझाव देते रहिये
आपका दिल से आभारे