नग़मे कई प्यार के मैंने तुझे हैं सुनाये सनमतू भी कभी सुना दे मुझे प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़लनग़मे कई ,,,,,मेरी कल्पनाओं में रंग तुझसे हैंमेरी भावनाओं में शब्द तुझसे हैंथामकर कभी हाथ मेरा सनमतू भी छू ले कभी इन हवाओं के परपलकों पर हैं मेरी ठहरी नदियाँ कईबूँद एक ,आँखों में तुम भी अपनी भरो गंगाजलनग़मे कई प्यार के मैंने तुझे हैं सुनाये सनमतू भी कभी सुना दे मुझे प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़लनग़मे कई ,,,,,हर सफ़र में तेरे हमसफ़र की तरह चल रही मैं तेरे संग इक डगर की तरहसाथ मेरे कभी तू जो चले ऐ ! सनम तुझको दिखने लगेंगे सपनों के नगरदिल में है प्यार का आशियाना मेरे तू भी दिल में कभी बना,प्यार का एक महलनग़मे कई प्यार के मैंने तुझे हैं सुनाये सनमतू भी कभी सुना दे मुझे प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़लनग़मे कई ,,,,,सीमा “अपराजिता “
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
seema जी आपकी इस काव्य शैली का मै तो फैन हो गया
बहुत ही जल्दी उन्नति करेंगी आप
आपकी लेखनी मे शायद कोई जादू है
अपनी यह सुयात्रा यु ही चालू रखिये
बहुत – बहुत धन्यवाद आपका सैनी जी ,,,
Waaahhh…..Seemaji………बेहतरीन….क्या लिखा है आपने….बुरा न मानो एक-दो सुझाव दे रहा…. आपके टाइटल को और एक पंक्ति को मैं कुछ यूं कहना चाहता हूँ… सोचियेगा….
प्यार की एक कोई चाशनी सी ग़ज़ल – प्यार की चाशनी में भीगी एक ग़ज़ल
तुम भी अपनी भरो गंगाजल – तुम भी अपनी में भरो वो गंगाजल…
आपके महत्वपूर्ण सुझाव के लिए आपका बहुत -बहुत आभार,,,
bhut sundar sringarik rachana……….
धन्यवाद मधु जी,,
Ati sundar prem se paripoorn rachnaa seems ji.
बहुत बहुत धन्यवाद् शिशिर जी,,,
Beautiful………………………………..
धन्यवाद् आपका
NIce ………खूबसूरत गीतिका रचना !!
बहुत बहुत आभार आपका,,,
ati uttam…..