नेता एक भाषण दे रहा था,देश हेतु समर्पित करने को सबकुछ,सबको आश्वासित कर रहा था,मंद-मंद घडियाली आसू ,आखो से झरा रहा था,वोट लेने की खातिर वो,अपनी झोली फैला रहा था,दिखावटी सपनेदिखा लोगो को,वह रिझाना चाह रहा था,अब देखो चुनाव जीतने पर उस नेता मे क्या परीवर्तन होता है-:विजय पश्चात लाल नशीली आखो से,लोगो को वो डरा रहा था,नयनजल का आखो मे,अब न कोई इक कतरा था, विपक्ष पर घोटालो का अब वो ,आरोप-प्रत्यारोप लगा रहा था,अब फिते काट-काट कर वो,अपना नेता धर्म निभा रहा था,लोगो से मिलने का अब वो,समय नही निकाल पा रहा था,देश को लुटकर वो नेता,अपनी झोली को समेट रहा था,एक दुःशासन की तरह वो,चीरहरण को आतुर था,अब देश को लुटने की वो,नई योजना बना रहा था,अब कोई आम आदमी उससे,आखे नही मिला पा रहा था!
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khoobsoorat……..
bhut sundar rachna…….
bahut khoob Krishna………..Neta Charitra ke parivartan ko Bakhubi se pesh kiyaa hai aapne !
aap sabhi mahanubhavo ka aashirwad ka prbhav hai ye sab to
Satyaparak rachnaa ………
aapka dil se aabhar