तुझ बिन रात और दिन है क्या…तुझ को मैं समझाऊँ क्या…स्याह रात दिल की तन्हाई…अपने को समझाऊँ क्या….दर्द है मेरा जिगर भी मेरा…तुम को मैं दिखलाऊँ क्या….दिल की इबारत मैं अनपढ़ सा…तुमको मैं जतलाऊँ क्या…दिन में तारे रात अकेली…दुनिया को समझाऊँ क्या…..प्यार ही जीवन जीवन ही प्यार है…वाईसों को समझाऊँ क्या…“बब्बू” है पर तुम नहीं हो…इस “मैं” को समझाऊँ क्या…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)वाईस – उपदेशक
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Beautiful……….बेहद खूबसूरत बब्बू जी ………….मैं को जिसने समझा लिया विजयी हो गया ………यही तो जीवन का सार है !
तहदिल आभार आपका……nivatiyaji……
Very nice, Sharma ji…..
तहदिल आभार आपका…Anuji……
Deep love expressed very well.
तहदिल आभार आपका…Madhukarji…….
kitni achhi kvita …aapko btau kya…….
hahahahahaha…..Madhuji…. आप जो मर्जी बताएं….बहुत बहुत आभार आप का…..
Behad khubsurat rachana Sharma ji .
बहुत बहुत आभार आप का…..Meenaji…..