तालियों की गड़गड़ाहट हो रही थी…सब खड़े हो के ताली बजा रहे थे…जैसे दुनिया में तमाशा…चपल उँगलियों में नाचती…कठपुतलियों का पहली बार देखा हो…कितने अनजान हैं हम खुद से ही…\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)…..
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Marvelous. Terse, deep and touching.
तहदिल आभार आपका…..Madhukarji………
Darshanik bhav liye atyant sundar rachana .
तहदिल आभार आपका…….Meenaji……….
Very Nice…Sharmaji….
तहदिल आभार आपका…….Anuji…..
darshanik bhav sir……
तहदिल आभार आपका……Madhuji……
Lovely Babbu ji ….Very Nice……………….बहुत उम्दा … गूढ़ रहस्य को समेटे यथार्थ से परिपूर्ण खूबसूरत रचनात्मकता ……परिपक्व विचारो का उम्दा उदहारण !!
तहदिल आभार आपका…….Nivatiyaji……..
Beautiful…………………
खुद के रहस्य से सभी अनजान बनते हैं एक उंगली का इशारा करते हैं तीन की दिशा कहाँ देखते हैं. अति सुंदर
तहदिल आभार आपका…vijayji……..