भ्रमण करते ब्रह्मांड में असंख्य पिण्ड दक्षिणावर्तसुदुर दिखते कहीं दृग में अन्य कोई वामावर्तहर विधा की नवीन कथा में निश्चय आधार होता आवर्तसभी कर्मों की साक्षी रही है, पुण्य धरा हे आर्यावर्त !यह पुण्य धरा वीरों की रही हैप्रफुल्लता, नवसष्येष्टि सदा बही हैकोमलता ! लघुता कहाँ ? पूर्णता रही है ; आक्रांता उन्माद को प्रकृति ने बहुत सही है |सत्य की संधान मेंविज्ञान अनुसंधान मेंविश्व – बंधुत्व कल्याण में,करुणा दया की दान में नहीं अटूट अन्यत्र है योगऔर न ही ऐसा संयोग|संसार में शुद्धता संचार मेंप्राणियों में पूर्णता से प्यार मेंयोग, आयुर्वेद व प्राकृतिक उपचार मेंभूमण्डल पर नहीं कोई जगत् उपकार में ;ये केवल और केवल यहीं पे, आर्यावर्त की पुण्य मही पे !जहाँ सभ्यता की शुरूआत हुई, हर ओर धरा पर हरियालीज्ञान- विज्ञान के सतत् सत्कर्म से फैली रहती थी उजियाली, हर क्षेत्र होता पावन – पुरातन बच्चों से बूढों तक खुशिहालीकुलिन लोग मिला करते परस्पर, जैसे प्रातः किरणों की लाली !पर हाय! आज देखते भूगोल कोनीति नियामक खगोल को ;खंडित विघटित करवाया किसने , कर मानवता को तार- तार, रक्त- रंजित नृत्य दिखाया किसने !यह सोच सभी को खाती हैअब असत्स अधिक ना भाती हैझुठलाया जिसने सत्य कोदबाया जो अधिपत्य को , इतिहास ना उन्हें छोड़ेगा , परख सत्य ! कहाँ मुख मोड़ेगा |आर्यावर्त का विघटित खंड, आज आक्रांताओं से घिरा भारत है; शेष खंड खंडित जितने भी, घोर आतंक भूख से पीड़ित सतत् है |मानवता के रक्षक जो अवशेष भूमी हैप्राणप्रिय वसुंधरा , समेटी करूणा की नमी है; हर ओर फैलाती कण प्रफुल्लता की, धुंध जहाँ भी जमी है;अनंत नमन करना वीरों यह, पावन दुर्लभ भारत भूमी है !अखंड भारत अमर रहे !© कवि पं आलोक पान्डेय
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Behad khoobsoorat rachnaa. Aapki ab tak kee jo bhi rachnaaye maine padhee hain unme sarvshreshth .
alokji….लाजवाब…….आप इसका अवलोकन कीजे…टंकण की अशुद्धियाँ लय में अड़चन पैदा करती हैं बस….. ‘की’ के स्थान पर ‘का’ होना चाहये या कहीं नहीं होना चाहये…
bhut sundar rachana alok ji…..
Ati sunder bhaav……………………….
एक बार “हालात बुरे हों तो जज्बात डोलते हैं…….” पढ़ें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
Lovely Observation…..शब्द चयन भाषा की सुंदरता होती है जिसे बखूबी अपनाया है आपने ….बब्बू जी की मंत्रणा पर ध्यान दे …बहुत बहुत आशीष आपको !
Alok ji, राष्ट्रीयता की भावना से ओत-प्रोत सुन्दर रचना .
a lot of thanks mina ji……!
many many thanks for giving valuable comments…..all of you..
heartiest and warmly……
…..
………… Jai hind..!