प्रीत की रीत निराली है….हर दिन दिल में दिवाली है…..प्रीत की रीत निराली है….रात अँधेरी सुनहरी लगती..तपती धूप मतवाली है…..प्रीत की रीत निराली है….इश्क़ समंदर पी पी बैठे…फिर भी कहे दिल खाली है….प्रीत की रीत निराली है….रोज़ ही गाये रोज़ सुनाये….एक ही सुर इक ताली है….प्रीत की रीत निराली है….महका है जिससे हर पल ही..वो ‘चन्दर’ दिल की वाली है…..प्रीत की रीत निराली है….\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)….वाली – मालिक
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Bahut sundar rachna…Sharma ji….
बहुत बहुत आभार आपका…anuji…….
bahut sunder sir……par aaj kal mujh jase logo ne preet ko apne dilo se gum kar diya hai…….
बहुत बहुत आभार आपका…Maniji…..ये सब अस्थायी रूप होते हैं जो आप कह रहे…वरना हम सब तो प्रेममय हैं……सोच के देखिये….
Interesting Babbu ji ……..
बहुत बहुत आभार आपका…madhukarji….
very nice babbu ji………………………!!
बहुत बहुत आभार आपका…Nivatiyaji……
Ati sundar rachana sharmaji
बहुत बहुत आभार आपका……Meenaji…..
Ati sunder…………………………….
बहुत बहुत आभार आपका……Vijayji……..