सुन ले इक बार ऐ सनम,कहना चाहता हूँ जो तुझ से सनम,लुटा दूँ मैं खुद को तुझ पे,है इश्क मुझे सिर्फ तुझ से,कभी आ बैठ मेरे पास तू,कह दूँ दिल की बातें तुझ से,सुन ले इक बार ऐ सनम,कहना चाहता हूँ जो तुझ से सनम,नज़रें कटार, भोली मुस्कान,पहली मुलाकात में सब हार गया,मन मंदिर में बस गयी तेरी मूरत, दिखती है जर्रे जर्रे में तेरी सूरत,सुन ले इक बार ऐ सनम,कहना चाहता हूँ जो तुझ से सनम,कुछ ख्वाब सजा लिए है मैंने,कुछ अहसास जगा लिए है मैंने,जुस्तजू तेरी सिर्फ मुझे दिलबर,होठों पर तेरे गीत सजा लिए मैंने,सुन ले इक बार ऐ सनम,कहना चाहता हूँ जो तुझ से सनम,रात करवटो में गुजरने है लगी,तेरे नाम से साँसे चलने है लगी,तू हो न हो, ऐ मेरे हमनवां,तेरी इश्क की खुमारी छाने है लगी,, सुन ले इक बार ऐ सनम,कहना चाहता हूँ जो तुझ से सनम,मनिंदर सिंह “मनी”
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thank you so much anu ji…….
Achcha prem geet ………
thank you sir……………….
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Very nice creation Mani ji.
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