ये खामोश निगाहें ये आपका खुद में ही उलझ जाना। ये मन के होठों से अपने दिल ए दिमागों में बात लाना। ये झुकी पलकें ,ये भवों का लचकते आना। ये आपकी झुल्फों का उड़ कर मेरे चहरे पे छा जाना।
दिल मेरा रह रह कर धड़कते है हर पल। हो मंज़िल मेरी आप , मुझे बतलाते है हल पल।ये हथेलियों से आपके,मेरा हाथ पसीज जाना। मेरे हाथों से आपके गालों को प्यार से खींच जाना। मुस्कराते हुए गुस्से में आपका मुझको डांटते आना। क्यों घूरते हो हर पल -कहकर ,चहरा घुमाना ।ये स्वरूप आपके ,मेरा मन हर्षाते हैं हर पल। मंज़िल हो मेरी आप ,मुझे बतलाते है हर पल।ये आपका मेरे साथ साथ चल कर बेफिक्र हो जाना।बीमारी में फसकर भी मुझसे मिलने आना।नाजुक सी अपनी हालात को ,मुझसे सामने पे छुपाना। .भूलकर सारी दुनिया को ,आपका मेरी वाहों में आना।ये सब खुद पे ही मुझको ,नाज करवाता है हर पल। मंज़िल हो मेरी आप ,मुझे बतलाते है हर पल।by prem kumar gautam
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Nicely express of heart feeling ……..keep it up
khoobsoorat………
sukriya
bhut hi sundar kvita…..
sukriya bahut bahut apka
Bahut sunder rachana…………………..
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sukriya apka jarur padege