झूठ का सहाराकब लेते होंगे लोग?कुछ तो आदतन बोलते होंगेकुछ लोग मजबूरी में बोलते होंगेकभी कठोर कानून की मजबूरीकभी अपनों को ठेस न पहुचाने की मजबूरीकभी किसीको बचाने की मजबूरी।यह भी जाना है मैंनेझूठ के साथ और एकपरेशानी जूड़ी होती हैकब कहा कैसे किससे क्यों बोला झूठहमेसा याद रखना पड़ता हैऔर अगर झूठ बोलने कीआदत पर जाएतो यह समस्या बन जातीझूठ बहुत देर तककिसीका साथ नहीं निभाती।यह भी पाया मैंनेसच बोलते वक़्तकुछ याद रखने की जरुरत ही नहींक्योकि सच समय के साथकभी बदलता नहींहा यह सही हैकभी कभी सच बोलने मेंपरेशानी हो सकती हैपर यह बाद की मुश्किलो सेहमें बचाती भी है।बोल कर झूठपल भर की खुशी पायी जा सकती हैपर बोलने से सचज़िन्दगी भर का चैन मिलता है। “अनु महेश्वरी”चेन्नई
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Thank you, Meena ji….
Well said Anu. I completely agree.
Thank you, Shishir ji…
Very nice……………………………
Thank you, Vijay ji…
Truly said ………………….!!
Thank you, Nivatiya ji…
bhut khoob mam…………
Thank you, Madhu ji….
Ek dam sachchi aur khari baat kari hai Anu ji aapne apni kavita ke maadhyam se .
Thank you, Manjusha ji…..
Anuji…..बिलकुल सत्य…… झूठ हर समय की परेशानी…. सच हर समय का सुख…..बेहद खूबसूरत……
Thank you, Sharmaji….
100% sty anu ji….bahut sunder rachna………………..
Thank you, Mani ji….