इन आँखों में एक अनकही सी आस एक अनबुझी सी प्यास तुम्हे फिर देखने की मौजूद है अब भी मगर मगर मै जब भी तुम्हे सोचूँ तो कुछ आँखों से गिरता है कही पर दर्द होता है फिर एक वेहम होता है कही सुनसान कोने से तुम्हारी आवाज आती है मगर मगर ये सच नही होता…मगर ये सच नही होता की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती है मै जब भी तुम्हे सोचूँ तो तो मै हार जाता हूँ जब भी किसी के सर पर हाथ माँ का देखू तो तो कुछ आँखों से गिरता है कही पर दर्द होता है फिर एक वेहम होता है किसी सुनसान कोने से तुम्हारी आवाज आती है मगर ये सच नही होता..मग़र ये सच नही होता की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती है की अब तुम नही आती बस तुम्हारी याद आती हैllby Rahul Awasthi
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Lovely write remembering mother
Raulji……बहुत ही भावपूर्ण….प्यारे भाव…माँ याद आते ही एक अलौकिक सुख की अनुभूति होती है…..माँ का आशीर्वाद मिले आपको यहाँ भी हैं…आप माँ की इच्छाओं की पूर्ती करने की कोशिश कीजे…बस…इतना कीजिये…जय हो…
Sunder rachna……..
Beautiful……….अति सूंदर …………………………..
एक बार “डिजिटल भिखारी…” पढ़ें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
Very Nice ……..जीवन में कुछ चीजे, कुछ बाते, कुछ यादे ऐसी होती है जिन्हें चाहकर भी आप अपने से जुदा नही कर सकते …..और होनी भी नही चाहिए क्योकि वो जीवन का आधार होती है ………….बहुत अच्छे !!
bhut sundar rachana rahul ji….