प्रिय मित्रों मुझे बताते हुए बहुत ख़ुशी हो रही है कि मेरी ग़ज़ल जय विजय ,बर्ष -३ , अंक ३ ,दिसम्बर २०१६ में प्रकाशितहुयी है . आप भी अपनी प्रतिक्रिया से अबगत कराएँ .
उनको तो हमसे प्यार है ये कल की बात हैकायम ये ऐतबार था ये कल की बात हैजब से मिली नज़र तो चलता नहीं है बसमुझे दिल पर अख्तियार था ये कल की बात हैअब फूल भी खिलने लगा है निगाहों मेंकाँटों से मुझको प्यार था ये कल की बात हैअब जिनकी बेबफ़ाई के चर्चे हैं हर तरफबह पहले बफादार थे ये कल की बात हैजिसने लगायी आग मेरे घर में आकर केबह शख्श मेरा यार था ये कल की बात हैतन्हाईयों का गम ,जो मुझे दे दिया उन्होनेंबह मेरा गम बेशुमार था ये कल की बात हैमदन मोहन सक्सेना
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Behad sundar….. wah….. claaaaaaaaaas……….
Lovely ………… बधाई हो आपको !!
very nice sir….and congrats…………………….
Bahut khoobsoorat….madamji aapne pahle bhi post ki hai yeh….matla ke pahle misre mein pyar tha hona chaahyea….
Khubsurat gajal…………………………