एक रात समाचार है आयापाँच सौ हज़ार की बदली माया५६ इंच का सीना बतलाकरजाने कितनो की मिटा दी छायावो भी अंदर से सहमा सहमापर बाहर से है अखरोटजब से बदल गया है नोट…. व्यापारी का मन डरा डरा हैउसने सोचा था भंडार भरा हैहर विधि से दौलत थी कमाईलगा हर सावन हरा भरा हैएक ही दिन मे देखो भैयाउसको कैसी दे गया चोटजब से बदल गया है नोट..नेता को है रोते पायाएक दम सब कुछ खोते पायारातो को बैठ कर जाग रहा हैकल तक था दिन मे सोते पायाक्या बाँटेगा अब चुनाव मेआए कैसे जनता का वोटजब से बदल गया है नोट…एक ग़रीब पगार था लायामालिक ने हज़ार का नोट थमायानोट बड़ा है सोचा था उसनेकई दिनो तक तकिये मे छिपायाआज गया बाजार मे लेकरना राशन मिला ना लंगोटजब से बदल गया है नोट…
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Bahut sunder…………………….pareshaniyan to awashya hi badhi hain lekin lambi awadhi men laabh bhi hoga.
“नोटबंदी-सपने अभी तो सपने हैं” padhen aur apani bahumulya pratikriya den.
Vijay ji aabhar aapki pratikriya ka, Humhe bhi acche paridaam ki ummeed hai
aam aadmi ki pareshaani ka khoobsoorat chitran………..
Bus ek prayas aap ki najar hai
well said………………बहुत खूबसूरत ……………….!!
Sukriya Nivatiya ji………..
Bahut sunder rachna….
AAbhar ANU ji…………
Bahut khoob shivdutt ji ……..
Suriya Shishir ji…