सुख और खुशीएक दूसरे के परिपूरक हो सकते हैपर चिरस्थायी नही भी हो सकते हैअगर आप खुश है ज़रूरी नहीं आप सुखी ही होऔर सुखी है तो ज़रूरी नहीं आप खुश ही होसुख एवं खुशी समय के साथ बदलते भी रहतेकल था आज भी है कल न रहेकल नहीं था आज है कल न रहेकल था आज नही है कल रहेपर संतुष्टि अपने अंदर से है आतीपा लिया इसे तो हमेशा साथ निभातीसुख हो या दुःख हो संतोष अगर है मन मेंजीवन के हर मोड़ पे खुशिया रहती जीवन में … “अनु महेश्वरी”चेन्नई
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very true. santosham param dhanam.
Thank you, Shishir ji….
very Nice Anu Ji…………आत्मावलोकन कर विचार मंथन करती खूबसूरत रचना
Thank you, Nivatiya ji…..
sahi bat hai .sukhd lga mam
Thank you, Madhu ji….
bilkul sahi…………..बहुत ही बढ़िया…..अनुजी….
Thank you, Sharma ji…
sahi baat…………………..ati sunder………………………
Thank you, Vijay ji….