दोस्तों,हाल के परिपेक्ष में कुछ पंक्तिया लिखी हैं जो आपके बीच रखता हूँ। अपना समर्थन दीजिएगा।**************************************नमो नमो है देश में,विदेश में,गांव की चौपाटी से लेकर,परदेश में।
सज्जनता के परिधान में,राष्ट्र के उत्थान में,हिमशिला परिवर्तन हो रहे,भारतीय संस्थान में।खलबली मची है चोरों में,जोरों से,हो हल्ला विरोध कर रहें, शोरों से।जानी पहचानी सी है ये कहानी,हर बार हर बात पर उंगली उठानी।राष्ट्रहित हेतु ,थोड़ी तकलीफ़ तो सहनी होगी,भ्रमित करने वालों को,दो बातें तो कहनी होगी।नोटों के बदले नोट मिलेंगे, गोली तो नही,लाइन में खड़े हो,सीमा पर खूं की होली तो नही।शांति पसर गई,कश्मीर की घायल घाटी में,स्कूल जा रहे बच्चे, खेल रहे है माटी में।बंद हो गया ,नकली नोटों का गोरखधंधा,चोर हुए कंगाल,रो-रोकर मांग रहे है चंदा।माओवादी, अतिवादियों में,सन्नाटा हैं पसरा,आधार से जोड़ो,नोटों के बाद अब तुम खसरा।एक मानव आया है,विश्व गुरु बनाने को,स्वाभिमान जगाने,फिर से सिरमौर बनाने को।।जय हिन्द ।-कवि “रवि यादव” Like my Facebook Page
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Ravi beautifully worded.
bahut khoob…..रविजी…बेहद सुन्दर शब्द दिए आपने….यथार्थवादी नहीं लगती…बहुत सी चीज़ों का हम अवलोकन अभी नहीं कर पा रहे….हम में सबसे बड़ी कमी यह है की हम बहुत जल्दी किसी को सर पे बिठा लेते…पूजा करने लगते…फिर दुसरे ही पल उसको ज़मीं पे पटक देते….भूतकाल में भी हमने ऐसे ही किया है… परिणाम कई बार समय लेता है सामने आने में ….