वाह रे नोटकभी लगे तू प्यारासबसे न्यारा ।।कभी जग कोदिखे तुझमे खोटवाह रे नोट ।नोट बदलेहाल बदल गयेआम जन के !हँसता कोईकोई रोता जाता हैइस चक्र में !परिवर्तनहो ये जरुरी तो हैकिस शर्त पे !करो जतनन हो परेशानियांनिकले दम !जनता चाहेतुम्हे जान से ज्यादान तोड़ो भ्रम !!!1!डी. के. निवातिया
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Lovely………….
Thanks for reading shishir ji
Waah…..बहुत सही कहा आपने…..बेहद खूबसूरती से……..
Thanks for reading BAbbu ji
achhi rachna .bdiha lga sir
Well …..तहदिल से शुक्रिया मधु जी …..मेरी अन्य रचनाओं पर भी अपनी अमुल्य प्रतिकिया व्यक्त करे ।