“सब जानते हैं मैं नशा नहीं करता,मगर पी लेता अगर तू शराब होतीकिताबों से मेरा तालुक़ नहीं रहा कबसे,मगर फुरसत से पढ़ता अगर तू किताब होतीख्वाब तक आते नहीं मुझको नींद में,पर बुलाया करता अगर तू ख्वाब होतीनजरें ही मिली थीं अपनी मुलाकात में ,चेहरा भी देखता अगर तू बेनकाब होती” विवेक कुमार शर्मा
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lovely feeling ……….टंकण में त्रुटि से नशा का नाश हो जाने से गड़बड़ हो रहा है कृपया ठीक करे !
त्रुटि बताने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद बस ऐसे ही हमेशा मार्ग-दर्शन करते रहें
Thank you Very Much………pls. read another writer/poet & Encouraged to share their views.
Lovely………..
bahut khoobsoorat……….
ati sunder………………………..