राज क्या है………
कर दूँ बयान अगर हकीकत तो लाज़ क्या है !तेरी खूबसूरती के आगे, भला ताज़ क्या है !!
अंदर भी कब्ज़ा और पहरा बाहर भी तुम्हारा ! इस तरह कैद करने का आखिर राज क्या है !!हम तो ऐसे लुटे अपने रहे न किसी और केइस बर्बादी का ना जाने तुम्हे नाज क्या है !! करना है तो करो, अभी, इसी वक़्त इकरारये रोज़ का बहाना, कल कभी आज क्या है !!अगर सही गलत का इल्म नहीं रहा धर्म को फिर उस संग जिंदगी बिताने का राज क्या है !! !!!
@—–डी. के. निवातिया ——@
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Lovely write Nivatiya ji…… Very romantic.
Waah…ताज जिसपे नाज़ है वो तो मालूम है…पता चला आज आपकी ग़ज़ल का क्या राज़ है….हा हा हा….
बेहद खूबसूरत शब्दों से निखरी हुई…..अभिव्यक्ति….जो दिल तक पहुंची…..
behda khoobsurat bhav bhari gajal………………………………ati uttam sir…………………
Beautiful gazal……..