तुम आओगे मिलने ये पैगामे बहार है….तब से ही आ गया दिल में खुमार है…..क्यूँ दिल सुने अब किसी और की बता…जबसे है तुमको देखा वो बस बेकरार है….क्षितिज संग सुनहरा हो रहा है दिल…..चाहतों की तारों संग लगी कतार है….मन फूल गर खिला खिला माली भी है खिला….है शबाब ये तुम्हारा या फागुन त्यौहार है….’चन्दर’ दिल की हालत खुद को पता ना थी…फिर भी ये तेरा मेरा मन क्यूँ एकसार है….\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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lovely write. It has come out very well.
तहदिल आभार आपका…….मधुकरजी……..
well said …………..बहुत खूबसूरत बब्बू जी…………..आश्विन में ही फाल्गुन का आनंद …………..क्लाइमेट चेंज का अच्छा असर …हा हा हा ssss………अति सुन्दर !!
तहदिल आभार आपका……निवातियांजी…….क्लाइमेट का पता कहाँ चलता ऐसे में सर……हा हा हा……
bahut acche sir..lajawab sir…………………….
तहदिल आभार आपका……maniji…..
Beautiful….Sharma ji…..
तहदिल आभार आपका……anuji……..