बेटी को विदा करते वक़्त माँ अपनी बेटी को सीख दे रही की ससुराल में कैसे रहना है ,किन,किन बातों का ध्यान रखना है ,उसी पर आधारित है यह कविता ।माँ की सीखजिस घर में पली-बढ़ीअपने मम्मी-पापा की नन्ही कलीबनकर आज दुल्हनअपने पिया के घर चलीबेटी को विदा करते वक़्तमाँ दे रही है सीखताकि ससुराल में बेटीहमेशा रहे ठीकजा रही तू बेटीहम सबको छोड़ करआज से पिया का घर हीहै तेरा अपना घरजाकर उस घर मेंजीत लेना सबका मनअपना फ़र्ज़ निभानाएक आदर्श बहू बनसास के रूप में मिलेगीतुम्हे तुम्हारी माँससुर के रूप में मिलेंगेतुम्हे तुम्हारे पिताभाई जैसे मिलेंगेतुम्हे प्यारे से देवरथोड़े से सहने पड़ेंगेतुम्हे ननद के तेवरसास-ननद कुछ कह भी देतो दिल से तुम ना लगानाअच्छी बहू बनकरबस अपना फ़र्ज़ निभानाअपने से बड़ो काकरना हमेशा सम्मानअपने प्यारे पति कारखना हमेशा ध्यानपति को कभी कुछबुरा नही तुम कहनावहीँ तो है तेरेसबसे अनमोल गहनाये सारी बातें तुमरखना हमेशा यादआशीर्वाद है तेरी माँ काहमेशा रहोगी आबाद …।पियुष राज,दुधानी,दुमका,झारखण्ड ।उम्र-17 साल(Poem. No-37) 28/11/2016 9:00PMMOB-9771692835 bhi
Оформить и получить экспресс займ на карту без отказа на любые нужды в день обращения. Взять потребительский кредит онлайн на выгодных условиях в в банке. Получить кредит наличными по паспорту, без справок и поручителей
Very Nice poem…… Kash maa apne bete ko bhi sikh de paye kuch taki betiya befikra ho ghar se bahar nikal sake…..
nice work………मैं अनु जी से सहमत हूँ ……बल्कि बेटे से ज्यादा स्वंय (सास रूपी) माँ बहु को बेटी स्वरुप स्वीकार कर ले तो यक़ीनन ये गतिरोध समाप्त हो सकता है !!
Bahut khub. …. …. ..
Beautiful work……….
Ati sundar…………
Thanks to all for nice comments