हे वीर सिपाही तू भारत माँ का लाल है देश के भीतर देश के बाहर, करता तू ही कमाल है आंधी आए, तूफ़ान आए,तू न कभी उससे घबराए हम दुबके जब अपने घर में,दुश्मन के तू छक्के छुड़ाए तेरे जज्बे पर नहीं कर सकता कोई सवाल हैमेरे वीर सिपाही…।।।जब दुश्मन करता वार है,चमके तेरा तलवार हैगोली भी खाता सीने में,जवाब देता दमदार हैतेरे लिये सब मांगे दुआ,सदा चमके तेरा मशाल हैहे वीर सिपाही….।।।धन्य है वह जननी तेरी,धन्य बहन की रेशम डोरी धन्य प्रिये का प्रेम अमर,धन्य पिता भाई की फेरीछोड़ चला सब को तू सरहद,तू देशभक्ति का मिसाल हैहे वीर सिपाही…..।।।
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वीर सिपाही मेरी रचना है परन्तु इसमें अज्ञात कवि क्यों दिखा रहा है। ऐसा क्या करु की इसमें मेरा नाम कवि के रूप में प्रदर्शित हो?
आपने पहले भी पोस्ट की है यह रचना…..बहुत खूबसूरत भाव आपके….रही बात कवी नाम की…इसी साइट पे कवियों में नाम देने की प्रकिर्या दी हुई है…जब तक नाम कवियों में शामिल नहीं हक्त आप अपनी रचना के टाइटल के साथ अपना नाम जोड़ दीजिए मधुजी….अज्ञात कवी के साथ नाम आ जाएगा….
धन्यवाद @babucm
आप की कलम ने क्या आग लगाई है
एक क्रान्ती मेरे दिल मे भी सुलगाई है
अमर होते है वे कवि जगत मे
देश हेतु जिसने कलम उठाई है
bhut bhut dhnyawad sir hirdy se aabhar
Describes hardness Soldier’s saga……… beautiful composition MADHU JI.
dhnyawad nivatiya sir
Bahut shandar..Kavita. salute to our soldiers..
Bahut sunder……
Ek baar “ye safar rail Ka” padhen.