शायद कभी कुछ गलत कह दिया हो मैंनेपर मंशा गलत नहीं थी मेरीहमेशा बस यहि कहना चाहा था मैंनेमेरा भी कुछ योगदान हैतुम सब की सफलता मेंकभी माँ कभी बहन कभी पत्नी बनऔर न जाने कितने रिश्तों से घिरी हुँ मैंकितनी ज़िम्मेदारियां उठा रही हुँ मैंपर जब तिरस्कृत होती हुँतब कुछ चुभता है मन में मेरेऔर कभी कभी यह सुनने के लिए”हमारी सफलता में तेरा भी हाथ है”विचलता है मन मेराओर न सुन पाऊ तोशायद कभी कुछ गलत कह जाती हुँ मैंपर मंशा गलत नहीं है मेरीमुझे भी जानने का हक हैमेरी अहमियत क्या हैबिना बोले हमेशा समझुंये तो ज़रूरी नहींमुझे भी नाराज़ होने का हक हैतुम्हारा भी मनुहार करने का फ़र्ज़ हैमुझे भी बस स्वीकृती चाहिएमैंने भी समय व्यर्थ नहीं गवायायह जानने की चाह है मन में …”अनु माहेश्वरी”चेन्नई
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Marvelous………………..Anu.
Thank you, Shishir ji…
ह्रदय के भावो को विस्तृत रूप में खोलकर रख दिया आपने …..बेहद उम्दा !
Thank you, Nivatiya ji…
bahut sunder dil ke bhav………………….
Thank you, Mani ji…
वाह………लाजवाब……अनुजी…..
Thank you, Sharma ji…
दिल को छुने वाली श्रेष्ठ रचना
Thank you, Krishan….
अनु जी एक औरत के मनोभावों को व्यक्त करती बहुत ही सुंदर रचना
Thank you, Kiran ji….
Bahut sundar rachna
Thank you, Yogesh…
Too awesome…………
Thank you, Meena ji….
Behetareen reachna……
Thank you, Vijay ji….