विचारो को आलोचनात्म रूप में ना अपनाकर सकारात्मक रूप से आमजन के ह्रदय के भाव समझे !! परिवर्तन के इस दौर में ये कैसी चली बयार हैधनाढ्य बैठे महलो में आमजन खड़े कतार हैकिस विद रुकेगी पैसे वालो की काला बाजारीजब मिल रहे नोट पांच सौ के बदले दो हजार है !!!!!डी. के. निवातियाँ [email protected]@@
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Nice sarcasm …………
Many Many Thanks ………..Shishir ji
Very nice……..
Many Many Thanks ………..ANU Ji
wo bhi bahut bade level par……………..very nice sir………………
Many Many Thanks ………..MANI JI
बिलकुल सही सटीक……कौई भी धनाढ्य …नेता…बिज़नस मैन… प्रोपेर्टी डीलर…. सब आराम से घर …. बहुत बढ़िया कटाक्ष….
You are right Babbu ji……….. Many Many Thanks ………..!
आप जैसे कवि की भारत को जरूरत है सर जी
go ahead
Many Many Thanks ………..Krishan Saini.
Nicely written Nivatiya ji.
Many Many Thanks ………..MEENA JI.
A hi air sudhar ki jarurat hair. Ati sunder.
Many Many Thanks ………..VIJAY JI.