जहॉ सभ्यता की शुरूआत हुई हर ओर धरा पर हरियाली,दया, दान करूणा के सतत् सत्कर्म से फैली रहती है उजियालीहर क्षेत्र होता पावन पुरातन,बच्चों से बूढो तक खुशहाली,कुलिन जन मिला करते स्वत्व सदृश जैसे प्रातः किरणों की लाली |
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Repetition of same word “khushhali” is not looking appropriate
दया, दान करूणा के सतत् सत्कर्म से होती रहती है खुशीहाली
बहुत सही कहा…बहुत अच्छे….!
बहुत खूबसूरत है……..कुछ टंकण की गलतियां है….कृपया ध्यान दें….
सत्य वचन…………बहुत सुंदर……….
खूबसूरत भाव …….. बब्बू जी और शिशिर जी का सुझाव विचारणीय है अमल करे !!
बहुत सुन्दर भाव !