सितारे उसकी मांग में आ सजे थे सारे…नूरे माहताब की बलाएं ले रही थी बहारें…खनकती कलाइयों के जो हार गले आ लगे…दिल रोया बहुत बेटी जाती देख और द्वारे…कैसी रीत है ये त्याग की बनी दुनिया में…विदा कर रहे उसे पाला था जिसे नाज़ों में….है नहीं दुनिया में माँ बाप से बड़ा दानी कोई…ख़ुशी से दे टुकड़ा दिल का रोये अंतस ही में…\/सी. एम्. शर्मा (बब्बू)
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Behatreen. Bas teesri line me chamki ke sthan par khanki behtar rahegaa. Sochiyegaa .
तहदिल आभार आपका….मैंने बदलाव किया है रचना में…….नज़र करियेग…..
very true sir………………….
आभार आपका….
बेहतरीन भावों से सुसज्जित रचना.
तहदिल आभार आपका….
बेहद भावनात्मक शब्दों में बेटी की विदाई का शब्दचित्र उकेरा है आपने .
तहदिल आभार आपका….meenaji…….
Very true Sharma ji….
तहदिल आभार आपका….
बब्बू जी बहुत खूबसूरत रचनात्मकता …………सकारात्मक भाव से .दो शब्दो में इशारा ……आपका अंदाज लुप्त है …….. रचना की मांग है पुनः अवलोकन करे !!
तहदिल आभार आपका….मैंने बदलाव किया है रचना में…नज़र करियेगा…..
अति सुन्दर .बब्बू जी …आप तो बस आप है !!
तहदिल आभार आपका मार्गदर्शन हेतु एवं पसंद करने के लिए………