इंसानियत से बड़ाधर्म कोई हो नहीं सकताकहलाने को इंसानज़मीर कभी सो नहीं सकताधर्म बनाता है कौनऔर किस के लिएदूत इससे बड़ाकोई हो नहीं सकताशांति भाईचारा बना रहेप्यार से बड़ा कोईधर्म हो नहीं सकताबस्ती है रूह सब में एकरंग लहू का भी है एकफिर दुश्मन इंसान काइंसान हो नहीं सकतापर्दा है कोईयॉ दोष समझ काहँसाने से बेहतररुलाना हो नहीं सकताहै रिश्ता पुरानासुख और दुःख काअस्तित्व दुःख कासुख से बड़ाहो नहीं सकतापाने को कुछखो देते हैं कुछज़िंदा रहेंगे सदायह हो नहीं सकतातेरे मेरे का जुनूनबड़ा दुश्मन है शायदइससे बड़ा दुश्मनकोई हो नहीं सकताजाने किस ख़ुमारी मेंआज इंसान सोया हैनफ़रत को बुनियाद बनाकरजाने क्या क्या खोया हैआसार बर्बादी के अयाँ हो रहे हैंफिर भी चादर तान के सोया हैकहाँ रुकेगी नफ़रत की आँधीआज बच्चा बच्चा रोया हैबम्ब विस्फोटों से हो कर लैसकितना हम इतरा रहेताक़त हैं आज़मा रहेआने वाला कल होगा कैसानई नस्ल क्या काटेगीप्यार मोहब्बत की जगहनफ़रतों का बीज बोया हैइंसानियत से बड़ा कोई धर्म नहींआज इंसान धर्मों में ही खोया है
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Nice write showing pain from present scenario ……
शिशिर जी बहुत २ धन्यवाद ,आज का माहौल देख कर मन में ऐसे ही विचार आते हैं
बहुत खूबसूरत विश्लेषण किया है आपने वर्तमान परिस्थितियों का .सुन्दर सीख देती सुन्दर सी रचना.
मीना जी सराहना के लिए बहुत २धन्यवाद ,आज के हालात की एक तस्वीर खींचने की छोटी सी कोशिश की है
सौफीसदी सत्य….सब जानते हैं ये बात तो अमल की है…..स्वार्थ में भी स्वार्थ जब पैदा हो जाए तो परिसिथतियाँ ऐसी ही बनती हैं…..बेहद खूबसूरत आंकलन…….
बब्बू जी आज स्वार्थ ही सबसे बड़ कर है तभी तो इंसानियत गौण हो गयी है ,आपको मेरे विचार ठीक लगे ,इसके लिए आभारी हूँ
बेहद खूबसूरत……………..
मनी जी कविता आपको अछी लगी इसके लिए धन्यवाद
बिलकुल सही विश्लेषण किया है आपने. बहुत सूंदर.
विजय जी कविता आपको अछी लगी इसके लिए धन्यवाद
वास्तिविकता से परिपूर्ण सुन्दर भावो से सजी अछि रचना !!
निवातीयाँ जी कविता आपको अछी लगी इसके लिए धन्यवाद
मनी जी कविता आपको अछी लगी इसके लिए धन्यवाद