हरेक बाग़े अदब में बहार है हिन्दी
कहीं गुलाब कहीं हरसिंगार है हिन्दी
ये रहीम, दादू और रसखान की विरासत है
कबीर सूर और तुलसी का प्यार है हिन्दी
फ़िजी, गुयाना, मॉरीशस में इसकी ख़ुश्बू है
हज़ारों मील समन्दर के पार है हिन्दी
महक खुलूस की आती है इसके नग्मों से
किसी हसीन की वीणा का तार है हिन्दी