एक हुआ करते थे खन्ना दिन भर शोर मचाते थे भ्रष्टाचार के बारे में नित जनता को समझाते थेभोली भाली जनता में उनकी नौटंकी खूब चली चालू चेलों की चाले भी इस मौसम में खूब फलीकाले धन पर जब से नोट बंदी फैसला आया हैखन्ना के चेलों ने ही सबसे ज्यादा शोर मचाया है खन्ना से कोई पूछे क्यों चेलों पर वार नहीँ करते उनको समझाने को क्यों धरना त्यौहार नहीँ करते शिशिर मधुकर
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बेहद खूबसूरत रचना…………………सर, ये खन्ना साहब कौन हैं ?
Samajhdaar ko ishaara hee kaafi hai vijay…………….
“ये सफर रेल का… ” पढ़िए
हा हा हा …….अच्छा कटाक्ष किया है ….. बेचारे खन्ना जी को वैसे ही बदनाम किया है !!
Hearty thanks Nivatiya ji…….
Very nice Shishirji…….
Thank you Anu………………
हाहाहाहा सर…सही कहा आपने खन्ना सर ने डुबो दी…..पहले मैंने सोचा था ये कुछ करेगा…..पर पूरा ही फुस्स हो गया….हर बात पर बिना सोचे समझे बयान देना बिलकुल गलत है….मैंने तो कई बार इससे मैसेज किया है मत करो ऐसा…..पर मानता ही नहीं…..बहुत अच्छे सर………………
Thanks Maninder for agreeing ……….
व्यंगात्मक रचना………..।
You are very correct Meena ji………….
कमाल के खन्ना जी का कमाल ही चित्रण…..हा हा हा…. बहुत सटीक कटाक्ष……
Thank you so very much Babbu ji …..
Moujuda haalaat par bahut achcha kataaksh hai . Bahut achche Shishir Ji.
Hearty thanks Manjusha ji ……….
जो भी आप ने कहा सत्य है मगर खन्ना की जगह दूसरा नाम दिमाग़ में आता है अच्छा कटाक्ष है
Thank you so very much a Kiran ji for reading and commenting