तुम मिले ज़िन्दगी मिली जैसे….इक हक़ीक़त मिल गयी जैसे….था अंधेरों में भटकता मैं…तुम मिले रौशनी मिली जैसे….इस कदर प्यारा सरूर भरा…तेरा चेहरा मयकशी जैसे…दिल पुकारे तुझे इस तरह से…सांसें हों दाँव पे लगी जैसे…..रात आँखों में है कटती मेरी…सुबह मिलके तुझे आएगी जैसे…आ के आने में क्यूँ है देर करि…ज़िन्दगी बोझ बन रही जैसे…तेरे चेहरे पे है नूरे खुदा….इक रूहानियत हो मिली जैसे….राह देखूँ या संवारूं खुद को…”बब्बू” किस्मत में बेबसी जैसे…\/सी.एम्. शर्मा (बब्बू)
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तेरे चेहरे पे है नूरे खुदा….
इक रूहानियत हो मिली जैसे….bahut hi badiya sir……………………………
बहुत बहुत आभार आपका……
बहुत सुंदर रचना……………………….
रात आँखों में है कटती मेरी…
सुबह मिलके तुझे आएगी जैसे…
बहुत बहुत आभार आपका विजय जी…..
बहुत उम्दा भाव सम्प्रेषण बब्बू जी ……..एक दो स्थान पर शब्दो की पुनरावत्ति सौन्दर्य में बाधा डाल रही है ….आप स्वयं गुणी जन है…बहुत बहुत बढ़िया आपको !!
जी…..तहदिल आभार आपका…..आईंदा ध्यान रहेगा…
Bahut achche Babbu ji. Ye tadap bhi to ek nasha hai
जी सही कहते आप……..तहदिल आभार आपका…..मधुकरजी….
बहुत सुंदर रचना बब्बू जी ,,,,’,
तहदिल आभार आपका….किरणजी….
Very nice poem Sharmaji….
तहदिल आभार आपका….
बेहद खूबसूरत ग़ज़ल……….,बहुत खूब…….।
तहदिल आभार आपका…