नारी एक भारी देखो सृष्टि पे सारी नारी,नारी इस दुनिया में सिरजनहार है।नारी आगे नतमस्तक सारे देवता भी,नारी आगे झुकता ये सारा ही संसार है।नारी बिना नर आधा जग आधा नारी बिना,नारी बिना सूना-सूना सब कुछ असार है।आधा अंग देके जिसे बन गए अधनार,उमा बिना देखो आधे मेरे त्रिपुरार हैं।१।नारी जब राधा बने दौङे चले आए कान्हा,राधा संग रास रचे यमुना के तीर है।झूमता है जिसे देख सारा जग मतवारा,राधा को जो देखे कान्हा झूमे सशरीर है।कहने को कान्हा के है रानियां हजार देखो,आत्मा है एक राधा-श्याम दो शरीर है।दुनियां का रखवारा जाना जाता राधाजी से,राधारानी नारी रूपा प्रेम वाला हीर है।२।नारी जब कारी बने, जीत लेती सारा जग,कारी बन नारी देखो शिव पर भारी है।नारी जब सीता बने, जगत पुनीता बने,सीता रूप धर देखो मर्यादा को तारी है।द्रौपदी जो बन जाए, पांडवों पे पङे भारी,नारी एक सारे देखो, भारत पे भारी है।आप वाली पे जो आए नारी, तो संहारी देखो,पङ जाती नारी पूरी सृष्टी पे भारी है।३। -मनोज कुमार चारण लिंक रोड़, रतनगढ़ मो. 9414582964
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Nice effort. You may like to read my two poems on the same subject “Maya Teri Maya” and “Stri”. Hope you would like them.
खूबसूरत………
बहुत खूब……………………
मेरी रचनाएँ नजर करें और अपनी बहुमूल्य प्रतिक्रिया दें.
“काश ! चाँद छिपता चांदनी के बिन…”
“धुंध अब छंटने लगी, अरुणोदय होने लगा है…”
अति सुन्दर ……….नारी को समर्पित सुन्दर भाव !!