अभी तक सब ये कहते न थकते थे,रुपये का कोई मोल नहीं है,एक ही झटके में हज़ार का नोट खत्म हो जाता है,फिर भी कुछ न आता है,क्या दम था सबकी बातों में,वैल्यू सचमुच खत्म हो गयी,हज़ार और पाँच सौ के नोटों में,सौ का नोट सर चढ़ कर बोले,मांग बढ़ी है इसकी बाज़ारों में,सौ की कीमत हुई है हज़ार की,पर हज़ार की कीमत हुई रद्दी के भाव में,वक्त बदलते समय न लगता,छोटे को कभी कम न आंको,बड़े होने का न करो गुमान,नोट तो एक बहाना है समझाने का,बदलना है आज का यहाँ पर हर इंसान।।By:Dr Swati Gupta
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Very beautifully written and true Dr. Swati
बहुत सुंदर ………………..
Very true Swati ji……
बहुत बड़िया………
बहुत बढ़िया………..