जगती आँखों के कोरो मेंसोती आँखों की अलसाई में तुमहममें हम नहीं से पर हमारी परछाई में तुमहोठों से नाम लेते, जो होगी हमारी, रुसवाई में तुमसम्भालना चाहा दिल को पर नहीं सम्भाल पाये कसमसाई में तुमझलकती आखें, उखड़ती सासें, पर नहीं चाहिए जगहसाई में तुमकर लेंगे दिल को तंग, बेजार होंगी सासें, रहना मेरे आस पास पुरवाई में तुम
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Marvelous write. Full of love passions. I admire them.
लिखने की ललक होती है प्रोत्साहन से…………. धन्यवाद
धन्यवाद………… बहुत धन्यवाद
लाजवाब…………….हम में हम नहीं थे होना चाहये….
जी, हम में हम नहीं पर
Bahut Khoob……….
veri nice mam…………………..
बहुत खूब………………………….