बचपनवो भी क्या वक़्त थाजब ना थी कोई परेशानीऔर ना था कोई टेंशनखुले आसमान में पंछी की तरहउड़ता था मेरा मनकितना सुंदर था वो बचपनदिन भर खेल-कूदहर वक़्त शरारतफिर भी नही थकता था तनकितना सुन्दर था वो बचपनन था ऊंच-नीच का ज्ञानन था किसी चीज़ का अभिमानछल-कपट से दूर था मनकितना सुंदर था वो बचपनघर के बाहर दोस्त-यारघर में मम्मी-पापा का प्यारसबके साथ मिलकरलगता था अपनापनकितना सुंदर था बचपनजिंदगी की सुनहरी यादेहोती है बचपनफिर से उस पल को जीने काकरता है सबका मनकाश ! फिर से लौट आए वो बचपनपियुष राज ,दुधानी ,दुमका ।(Poem.No-34) 11/11/2016Mob_9771692835
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bahut achhe sir……………………
बहुत खूब……………………..
Bahut hi sundar bachpan se otprot rachna..????
बचपन की सुनहरी यादो को स्मरण कराती अच्छी रचना !!
मीठी यादों की मीठी रचना……..