तेरे लिये “माँ”
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
ईश्वर का साश्वत रूप है माँमत्तव का अपार सागर माँस्वर्ग समझो उस आँगन कोजंहा पूजा होती हो तेरी माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
त्याग, बलिदान, क्षमा, धैर्यममता की प्रतिमूर्ति होती माँसब सद्गुण ही तेरे आभूषणइनसे बनती मेरी पहचान माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
तेरे क्रोध में भी करूणा है माँतेरे मौन में भी ममता है माँजीवन के हर एक मोड़ परसंतान को सहारा देती है माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
सब कुछ मिल जाता दुबाराएक तुम नहीं मिलती हो माँपूछे मुझसे नाम मुहब्बत कामुस्कुरा के कह देता हूँ “माँ” !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
आज भले कोई बना हो ज्ञानीजन्म समय तो था अज्ञानी माँकितना कोई करे तेरा त्रिस्कारफिर भी तूने ह्रदय से लगाया माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
मेरे लिये तुम दुर्गा, तुम गोविंदहरपल रहती हो ह्रदय में जिन्दातुम ना होती दुनिया आता कैसेएक तेरे सहारे मेरी पहचान माँ
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
कितना भी लिखूं तेरे लिये कम हैसच तो ये है “माँ” तुम हो तो हम हैहर रिश्ते में मिलावट देखी हमनेबस तेरी ममता में न छल देखा माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
रोते हुए पोंछे थे आंसू तेरे दुपट्टे सेउस दिन छोड़ आया था तुमको माँसुना अभी तक नहीं धोया है तुमनेउन यादो को संभाले रखा तुमने माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
एक तरफ हो जो तेरा आँचलएक तरफ भूमण्डल सारा माँनहीं चाह मुझे इस भूलोक कीमै चाहूँ तेरे झूल की छाव माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
धन दौलत तो हर कोई देतामुहँ का निवाला तुम देती माँदुनिया के सबसे निर्धन प्राणीजो तेरी स्तुति में करे सोच-विचार माँ !!
कुछ नही मेरी झोली में, शब्द विहीन हूँ तेरे लिये माँ !जो भी करूँ कम पड़ता है, एक सजदे में तेरे लिये माँ !!
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@— डी. के. निवातियाँ —@
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Maa ke prati samarpit bahut hi sundar rachna Sir????
Bahut Bahut Shukriya Aapka ….!!
bahut hi sunder bhavo se saji ma ke parti rachna……..
Bahut Bahut Shukriya Aapka ….!!
very nice nivatiya ji……..
Bahut Bahut Shukriya Aapka ….!!
माँ की वंदना में….माँ की स्तुति में…..माँ को आभार प्रकट करने में हर शब्द मौन धारण कर लेता है…..किसी में सामर्थ्य नहीं की “माँ” की व्याख्या कर सके…….नतमस्तक हूँ मैं आपके भावों के आगे ……हर माँ के आगे….निश्चय ही माँ बाप का आशीर्वाद है जो हम हैं…आपको आशीर्वाद मिले माँ का …माँ सरस्वती का हमेशा …और आप नयी ऊंचाइयों को छूते रहे हर दिन…..जय हो….
Thanks from the heart for your precious feedback.
A work full of sentiments for mother
Thanks from the heart for your precious feedback
nice one nivatiyan ji
Thank You very Much
बहुत ही सुंदर रचना………………….
Thank You very Much
Beautiful poem……
Thank You very Much
माँ की महानता को समर्पित सुन्दर सृजन .बहुत खूब निवातियाँ जी!!
Thank You very Much