Homeजयंत परमारकाग़ज़-1 काग़ज़-1 विनय कुमार जयंत परमार 21/03/2012 No Comments पुराने वक़्त में लिखा जाता था– पत्तों पर भोज पत्र पर ताड़ पत्र पर पेड़ के सीने पर पत्थर पर पशु के चमड़े पर ताँबे पर चारों वेद भी लिखे गए थे भोज पत्र पर लेकिन ज़ुल्म की काली ऋचाएँ लिखी गई थीं मेरे बदन पर आज भी…! Tweet Pin It Related Posts ग़ालिब पेंसिल-2 बेसुतूँ आसमान है मेरा About The Author विनय कुमार Leave a Reply Cancel reply Save my name, email, and website in this browser for the next time I comment.