नन्हे मुन्ने खेल रहे थे, गाँव – चौबारे पर खेल हाथ में लिये हाथ दूजे का, वो बना रहे थे रेल !!
कोई सिपाही बन कर ऐंठे कोई चोर बन घबराये बाकी प्रजा की भूमिका में इकट्ठे मांग रहे न्याय !!
खेल खेल में उनको आया याद खेले भारत हुआ कैसे आजाद कैसे लड़ी थी लड़ाई पुरखो ने आओ संग मिलकर करे याद !!
देखक्रर बच्चो के ओज भाव बुजुर्गो में भी जागी जिज्ञासा दूर बैठकर वो भी लगे देखनेबच्चो के करतब का तामाशा !!
कोई बोले मैं अशफाक बनूँगा एक कहे, मैं हूँ वीर सावरकर बिस्मिल बन कर भरी हुंकारलड़ूंगा मैं भगत सिंह बनकर !!
अलग अलग है भाषा – भाषी भिन्न भले अपना खान पानकश्मीर से कन्याकुमारी तक एकता की हम जग में मिसाल !! एक बस्ती में संग-२ रहते है हिन्दू मुस्लिम, सिख ईसाईकोई नहीं है भेदभाव हम में सब कहते एक दूजे को भाई !!
एक चमन के ये फूल है सारे रंग रूप भले हो अपने न्यारे बगिया तो तब ही सजती है जब पुष्प खिले न्यारे प्यारे !!
इन बच्चो ने फिर याद दिलाया मेरा भारत है दुनिया से निराला मजहब सिखलाते तहजीब यंहा जर्रा जर्रा जिसका हमको प्यारा !!
कुछ बच्चो के नाम गिना दूँ निक्कू, दक्ष और हर्ष बता दूँ ‘सार्थक’ हो रचना ‘ख़ुशी’ से भाव समर्पण मैं इन्हें करा दूँ !!
नन्हे मुन्ने खेल रहे थे, गाँव – चौबारे पर खेल हाथ में लिये हाथ दूजे का, वो बना रहे थे रेल !!
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रचनाकार ::—> डी. के. निवातियाँ[email protected]@@
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Beautiful work……………..very inspiring.
Thank you very Much SHISHIR JI for motivational comments
बहुत ही सुंदर भावों में सजी रचना.
बहुत बहुत शुक्रिया विजय आपका !!
सुन्दर चित्रण …………………..
बहुत बहुत शुक्रिया मनोज आपका !!
खेल खेल में बच्चों के माध्यम से आपने भूलते मूल्यों को याद करवाया है जो भारत की पहचान है….निस्संदेह ईंट पत्थरों से देश नहीं बनते….देश सदृढ़ बनते है आपसी प्रेम से भाईचारा से…. और स्वार्थ से ऊपर उठकर देश की खातिर जीने से….ए मेरे वतन के लोगो गीत भी याद आ गया…. ऐसे भावों को किसी भी प्रतिकिर्या में बाँध नहीं सकता मैं…..सलाम आपकी कलम को… भावों को…..जय हो…..
सत्य कहा आपने बब्बू जी…………..भावो को मान देकर आपकी विस्तरात्मक प्रतिक्रिया के लिए कोटि कोटि धन्यवाद !!
Sir…aapki rachna bahut hi khoobsurat hai…khel ke madhyam se aapne bahut hi sundar bhav vyakt kiye hain????
बहुत बहुत धन्यवाद स्वाति जी आपका !!
sunder bhav se saji….sunder rachna….bahut badiya sir…………..
बहुत बहुत धन्यवाद मनी आपका !!
“मेरा भारत महान” की साकार मूरत है आप की रचना ।बहुत सुन्दर रचना निवातियाँ जी !
बहुत बहुत धन्यवाद मीना जी आपका !!