मैं परिंदा, ख्वाहिश आशियाने की,तन्हा हूँ पर चाहत तुझे पाने की,,यूँ तो लाखो है हम पर मरने वाले,पर जिद है, तुझ पे फ़ना हो जाने की,,ना जाने कब खत्म होगी तलाश मेरी,उड़ान को मेरी घरोंदा मिल जाने की,,तू खोया है अपने ही मस्त सफर पर,पर देखता हूँ मैं राह तेरे वापस आने की,,मुस्कुराते हुए उम्र गुजार दूंगा तेरे इंतज़ार में,तू याद रखना कोई बाट जोह रहा तेरे आने की,मनिंदर सिंह “मनी”
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मनीजी…बेहद उम्दा….हर शेर बहुत खूबसूरवात बन पड़ा है….मुझे लगता अंतिम शेर पहले शेर के मुकाबले कम पड़ गया….मैंने ऐसे लिखा इसको…देखिये ज़रा…
गम नहीं गुज़र जाए ज़िन्दगी इंतज़ार में तेरे…
चाहत मेरी कम न होगी तुझे अपनाने की….
wah sir……………….kya baat hai…………..bahut badiya likha aapne sher…….meine iss ek baar phir se likha hai plaease apni nazar kijiye……
मुस्कुराते हुए उम्र गुजार दूंगा तेरे इंतज़ार में,
तू याद रखना कोई बाट कर रहा तेरे आने की,
Very nice poem Maniji….
thank you so much anu ji…………………..
Very nice, Mani ji
thank you so much sir………………..
बहुत खूबसूरत मनी …… बहुत अच्छा लिख रहे हो…………अति सुन्दर भाव !!
वैसे हर शेर को सजाने की सबकी अपनी कला होती है जैसा की बब्बू जी और आपने अपने अपने लहजे में सजाया है ! आपकी देखा देखि मैंने भी नादान सी कोशिश की तो कुछ यूँ निकला …. अन्यथा न लेना मात्र भाव सम्प्रेषण है !!
“गम नही ताउम्र गुजर जाये मनी की तेरे इंतज़ार में !
राह पे टिकी है नजरे हर पल चाहत में तेरे आने की !!”
तहे दिल बहुत बहुत आभार निवातिया जी आपके इस उत्साहवर्धन के लिए……बस आप सभी का आशीर्वाद है…….आप की बात सर आँखों पर……बहुत ही उम्दा शेर सजाया है आप ने…….स्वाद आ गया…..बहुत बहुत धन्यवाद सर…………………..
Mani, it’s a lovely write but I feel minor corrections in 3rd couplet can make it still better.
बहुत बहुत धन्यवाद आपका सर……मैंने चेंज किया है एक बार अपनी नज़र करे शिशिर सर…………..
Perfectly alright. What I suggest that such small goof ups occur when we post new work in hurry. We have to relook at our own work after some gap then only such things can be automatically corrected. I am trying it these days. More over sentences in active voice or direct sentences look better. It’s my opinion and people have full right to disagree.
आप ने बिलकुल ठीक कहा जल्दी में किया गया काम या बिना पुनः ना देखना अपने काम को…..गलती भी करवा सकता है…..पर कई बार और की सोच से ठीक भी हो सकता है…..अक्सर देखा है मैंने इस बात को….कई लोग हमेशा खुद को सही ठहराते है…फिर मैं वहाँ चुप कर जाता हूँ….आप से हम तो खफा नहीं हो सकते है सर……..ये बात पक्की है सर……मैं आपकी बात का पूरी तरह से ध्यान रखूँगा…..बहुत बहुत धन्यवाद आपका……………..
बहुत अच्छा…………………….
thank you so much sir………………
मेरी गजल को कहीं देखा हो तो बताइयेगा. अति सुंदर……………
sir dekha hai….yeh aap ki gazal hai…..thank you so much sir………………..
बहुत ही प्यारी कविता है मनी जी
thank you so much kiran ji………………..
Bahut bahut sundar rachna…Mani ji???????
thank you so much dr swati ji……………..
बहुत सुन्दर ग़ज़ल मनी जी ।
thank you so much meena ji……………….