उफ़ ये दोराहें
हम इन्सानों की अजीब कहानी हैदस कदम चले नहीं किबस दोराहें आनी हैंएक राह अपनानी हैतो दूजी छूट जानी हैजिस राह को चुन चल पड़ेवो लगती नहीं सुहानी हैजो राह छूट गयी हैबस उसपे पछतानी हैबस ऐसी ही अजीब सीमेरी भी कहानी हैजो हाथ मेरे आता हैवो मुझको भाता नहींजो हाथ से छूट जाता हैउसपे मन पछताता हैकोई तो हो इस उलझन का उपायदो राहों की ये गुत्थी सुलझ जाएकोई इन दोनों राहों से कह देवो हमसे मिलने बारी-बारी से आयें
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बहुत ही उम्दा |…
बहुत बहुत धन्यवाद
lovely……………………………!!
खूबसूरत…………
बहुत बहुत धन्यवाद
Nice thoughts……………………
very nice ……………
अति सुंदर……………
मेरी रचनाएँ “काश ! चाँद छिपता चाँदनी के बिन” और “वक़्त जो थोड़ा ठहरता” आपकी बहुमूल्य प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा में है.