दिल आ गया जिसपे वो है मासूम सा चेहरा बड़ा शर्मीला है वो तो खिला है फूल सा चेहरातरन्नुम सी आवाजें हैं मगर खामोश है चेहरानही कोई और है ऐसा वही है चाँद सा चेहरादिल आ गया जिसपे ……………………………………..चाँद सा चेहराकोई गहना नही जिसपे मगर खिलता है वो चेहराभले वो सामने ना हो मगर दिखता है वो चेहराहँसी जिसकी मनोहर है वही भाये हमें चेहरा तेरी नींदें उडाऊँ में मुझी से कहता है चेहरादिल आ गया जिसपे ……………………………………..चाँद सा चेहरामुझको जो सताता है रिझाता है वही चेहराउड़ जिसकी रहीं जूल्फें लाया वो घटा चेहरादिल जब जोर से धड़के आये जब सामने चेहरा चलाके तीरनयन से वो करे ज़ख्मी मुझे चेहरादिल आ गया जिसपे ……………………………………..चाँद सा चेहराबड़ा ही शान्त सा लागे मगर चितचोर है चेहराचला वो दूर भी जाये मगर वो पास है चेहराहुआ जिसका दीवाना दिल वही इक खास है चेहरा उसी के ख्याल में डूबा वही इक साथ है चेहरादिल आ गया जिसपे ……………………………………..चाँद सा चेहरा “मनोज कुमार”
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बहुत ही मनभावन मनोज जी।
बहुत बहुत धन्यवाद विवेक जी
Bahut sundar geet hai…….
hardik aabhar babbu ji
Lovely song Manoj ……………..
Thanks a lot Shishir ji
nice song sir…………….
Thanks a lot Mani ji
जज्बातो को बखूबी शब्दो में पिरोया है आपने …………..अति सुन्दर !!
हार्दिक आभार निवातियाँ जी