राम के घर लौट आने की खुशियाँ मनाता हूँ इसलिए हर बार अनेको दीपक मैं जलाता हूँ लगी है दर पे आँखे राम के आने की आस में शायद आये इसबार, ये सोच दिवाली मनाता हूँ !!!!!डी. के निवातियाँ [email protected]@@
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वाह सर जलाते रहिये दीये…..जरूर आएंगे एक न एक दिन………………..
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद मनी !!
घर का राम ना जाने कहाँ खो गया है. आजकल…….जिनसे जीवन पाया उनको बेसहारा कर चले जाता है जिसे कुलदीपक कहते हैं हम…….. बेहतरीन भावों से दीपोत्सव की महत्ता को आपने बाखूबी उतार दिया….भगवान् करे सब के राम वापिस आ जाएं….आपकी आस विश्वास बने…..
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद बब्बू जी !!
Bahut hi sundar rachna????
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद स्वाति जी !!
Nice poem………….
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद अनु जी !!
Marvelous write……………
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद शिशिर जी !!
बेहतरीन रचना निवातियाँ जी
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद मनोज आपका !!
Very nice………….,
रचना को मान देकर अमूल्य प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिये कोटि कोटि धन्यवाद मीना जी !!