सत्य की खातिर लड़ो और अत्याचार कभी ना सहोसर को सदा ऊँचा रखो और अपनी सारी बातें कहोमेरी इस शिक्षा को ही तो मेरी संतान ने ग्रहण कियातभी तो उसने मेरे विरुध्द लड़ने का एक प्रण कियाधर्म युद्ध होता है जब तो कुछ भी गलत होता नहीँपर युद्ध ना करना पड़े मिलजुल कर तो सोचो यहीजब तक दुर्योधन ने भी भूमि देने से ना मना कियामहाभारत रोकने का प्रयत्न श्री कृष्ण ने सदा कियाशिशिर मधुकर
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शिशिर जी आपकी रचना में सवाल भी है और जवाब भी .वैचारिक मतभेद हर जगह होते हैं चाहे समाज वर्तमान का हो या महाभारतकालीन .शांति के लिए चिन्तन करती सुन्दर रचना .
Thank you Meena ji for your lovely comment.
मतभेद होना…आपसी विचारों का आदान प्रदान का माध्यम है…एक दुसरे को समझने का….मनभेद युद्ध और कलह का जन्म दाता है…इस चलायमान दुनिया में सब कुछ परिवर्तनशील है…. जो आज धर्म वो कल अधर्म हो सकता है….आपने शब्दों के चक्रव्यूह में हर किसी को खड़ा कर दिया…हा हा हा…. लाजवाब………
Thank you so very much Babbu ji for your detailed comment.
शिशिर जी आपके रचनात्मक भावो में आपकी मनोदशा का सजीव चित्रण मुखर होता है……. जीवन में कुछ सुख दुःख या परेशानिया अपनी नही दुसरो की वजह से भी झेलनी पड़ती है क्योकि किसी न किसी रूप में इंसान उनसे जुड़ा होता है , यही जीवन है !!
Thanks Nivatiya ji for your lovely commrnt.
bahut hi umda sir…….
Thank you very very much maninder
100%true and bahut hi khoobsurat rachna???
Thanks Dr. Swati for your appreciation of my work.
प्रेरणास्पद,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
Thanks Vinod Dave ji for commenting.
सच्चाई का चित्रण करती बेहतरीन रचना शिशिर जी
Hearty thanks Manoj…………