खाबों में तुम हो जवाबों में तुम हो ख्यालों में तुम हो सवालों में तुम हो जब भी मैं देखूँ बहारों में तुम होखाबों में तुम हो…………………………………………..मिट जाते है शिकवे जब बाँहों में आते हो बढ़ जाती है बेताबी जब दूर जाते होकिताबों में तुम हो नकाबों में तुम हो गुलाबों में तुम हो शराबों में तुम होखाबों में तुम हो…………………………………………..कैसे हम गवाँ दें सबसे सुन्दर जो तुम हो घबराते हैं हम भी जब तुम पास आते हो संगीत में तुम हो मेरी धड़कन में तुम होलहरों में तुम हो मेरी आँखों में तुम हो खाबों में तुम हो…………………………………………..तेरी गेसू की छाया में मन करता है सो जाऊँकरता हूँ इंतजार सदा ऐसा ही बस हो जाये रिश्तों में तुम हो मेरी खुशियों में तुम होअरमानों में तुम हो मेरी चाहत में तुम होखाबों में तुम हो…………………………………………..“मनोज कुमार”
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बहुत सुन्दर…………
बहुत बहुत धन्यवाद बब्बू जी
बहुत अच्छे…..
हार्दिक आभार दवे जी
Lovely song Manoj………
Thanks a lot Shishir ji
Bahut Khoob…..,…
koti koti abhar Vivek ji
bahut badiya sir……..manoj ji…………………..
rachna najar karne ke liye dhanyavad mani ji
अति सुन्दर गीतिका …………..मनोज !!
हार्दिक अभिनंदन निवातियाँ जी
nice song,,,,,,,,,,,,
Thanks a lot Vinod ji